भारत

प्रधानमंत्री ने गुजरात में कई परियोजनाओं का किया उद्घाटन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में कई परियोजनाओं का किया उद्घाटन। राजकोट में महात्मा गांधी संग्रहालय राष्ट्र को किया समर्पित, प्रधानमंत्री ने गांधीजी के स्वच्छ भारत के सपने को करने की दोहराई प्रतिबद्धता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गुजरात के राजकोट में महात्मा गांधी संग्रहालय का उद्घाटन किया. यह संग्रहालय राजकोट में अल्फ्रेड हाई स्कूल में बनाया गया है. यह स्थान महात्मा गांधी की जिंदगी में महत्व रखता था. गांधी जी ने 7 साल तक पढ़ाई की थी. आज़ादी के बाद अल्फ्रेड हाई स्कूल स्कूल का नाम बदल कर मोहन दास गांधी विद्यालय कर दिया था. पिछले साल गुजराती माध्यम के इस स्कूल को बंद कर संग्रहालय में तब्दील करने के प्रस्ताव को राज्य सरकार ने मंज़ूर किया था. यूं तो संग्रहालय विरासतों को सहेज कर रखते हैं लेकिन राजकोट का ये एक ऐसा अनमोल संग्रहालय है जो खुद अपने आप में धरोहर है. जहां पर झलक है मोहन दास से महात्मा बनने की अंतर यात्रा की, जहां की दरों दीवारों पर गांधी के सिद्धांत, व्यक्तित्व और कृतित्व को उकेरा गया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की स्मृतियों को संजोए इस धरोहर को राष्ट्र को समर्पित किया. पुराने तर्ज़ की वास्तुकला पर बनी ये इमारत कभी अल्फ्रेड हाईस्कूल हुआ करती थी. अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी कभी इसी स्कूल में पढ़ा करते थे. ये महज़ इमारत नहीं है बल्कि बड़ी से बड़ी समस्या को सत्य और अहिंसा के सिद्धांत से हल करने का मूलमंत्र देने वाले महात्मा गांधी के ज़िंदगी के अहम पड़ाव का गवाह रही है. पहला हिस्से में गांधी की बचपन से जुड़ी यादों को सहेजा गया है. यहां रेडियो के ज़रिए उनके बाल अवस्था की मार्मिक कहानी बयां की गई. गांधी जी के नाम पर संग्राहलय बनाने का शायद इस इमारत से ज्यादा कोई उपयुक्त जगह नहीं हो सकती थी. महात्मा गांधी 1887 में 18 साल की उम्र में इस स्कूल से पास हुए थे गांधी जी जीवन के अलग अलग पड़ाव को अलग अलग हिस्सों में दर्शाया गया है. संग्रहालय डिजिटलीकरण का बेहतरीन नमूना है. संग्राहलय में गांधी जी के दक्षिण अफ्रीका दौरे से जुड़े रोचक किस्सों को डिजिटलीकरण के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है. पीटरमारिट्जबर्ग में ट्रेन से जबरन उतारने के दर्दनाक हादसे को बेहद खूबसूरती से पेश किया गया है. गांधी जी के साथ हुई इसी घटना ने सत्याग्रह को जन्म दिया. सत्याग्रह यानी अन्याय के खिलाफ शांतिपूर्वक लड़ाई लड़ना. 1915 में गांधी जी भारत लौटे और फिर आजादी का जो आंदोलन उन्होंने चलाया उससे अंग्रेज देश छोड़ने पर मजबूर हुए. देश की स्वतंत्रता में गांधी के जी के दंड़ी मार्च की अहम भूमिका रही है. 1930 इस ऐतिहासिक सत्याग्रह कार्यक्रम में गाँधीजी जी ने अहमदाबाद साबरमती आश्रम से समुद्रतटीय गाँव दांडी तक पैदल यात्रा करके के नमक हाथ में लेकर नमक विरोधी कानून का भंग किया गया था. ये अंग्रज़ों द्वारा नमक पर लगाए भारी कर के खिलाफ लड़ाई नहीं थी बल्कि आज़ाद फिज़ा में सांस लेने की चाहत थी.

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.

eleven − five =

Most Popular

To Top