18वें एशियाई खेलों में कबड्डी के बाद भारत को अगर किसी खेल में निराशा हुई तो वह थी हॉकी। लीग मैचों में 76 गोल करने वाली भारतीय टीम सैमीफाइनल में जब मलेशिया से भिड़ी तो अपनी एकाग्रता गंवाते हुए मैच भी 6-7 से गंवा बैठी। कहा जा रहा था कि भारत अगर एशियाई खेलों में गोल्ड लाता तो ही उसके लिए ओलिम्पिक का रास्ता खुलना था लेकिन भारतीय हॉकी टीम के कप्तान पी श्रीजेश ने ऐसे तमाम कयासों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि उनकी टीम की ओलिम्पिक खेलने की उम्मीदें खत्म नहीं हुई हैं। हालांकि हॉकी कप्तान को यह भी लगता है कि कांस्य पदक और पाकिस्तान के खिलाफ जीत से एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक ना जीतने का दर्द कम नहीं हो सकता।
कप्तान श्रीजेश ने कहा- इस बात को लेकर कोई शक नहीं है कि हम निराश हैं। हमें पता है कि हम कितने दुखी हैं क्योंकि हमने पूरे साल काफी अच्छा प्रदर्शन किया। कांस्य सांत्वना पदक है और इससे हमारा दर्द कम नहीं हो सकता। एशिया की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग वाली टीम भारत इस बार एशियाई खेलों में स्वर्ण की दावेदार थी। लेकिन उसकी हार से भारतीय हॉकी जगत स्तब्ध रह गया। वहीं, अति आत्मविश्वास के कारण हारने के लगे आरोपों पर कप्तान ने कहा कि हमारे अंदर आत्मविश्वास था, अति आत्मविश्वास नहीं। बस हमने कुछ बेवकूफाना गलतियां कीं जो अंत में हमपर महंगी पड़ गईं। मलेशिया के खिलाफ मैच दौरान हमारी शुरुआत बढिय़ा हुई थी लेकिन बीच में खेल धीमा करने की हमारी रणनीति हमें नुकसान कर गई।
ओलंपिक क्वालीफाई कर है कई और रास्ते
भारत के ओलंपिक में क्वालीफाई करने के सवालों पर श्रीजेश ने कहा कि अभी सब कुछ खत्म नहीं हुआ है। अभी हमारे पास कई मौकों आएंगे। इसके साथ श्रीजेश ने भुवनेश्वर में होने वाले विश्व कप में बेहतर प्रदर्शन का विश्वास जताया। कप्तान ने कहा- विश्व कप में 16 सर्वश्रेष्ठ टीमें खेलेंगी। जो अच्छा खेलेगा वो जीतेगा।