वाशिंगटन अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने कार्बन डाईऑक्साइड को अन्य उपयोगी यौगिकों में बदलने के तरीके ईजाद करने के लिए एक प्रतियोगिता लांच की है। इन तरीकों का इस्तेमाल भविष्य में मंगल पर होने वाले अनुसंधानों के दौरान किया जाएगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि अभियान के दौरान सभी जरूरी चीजें मंगल या अन्य ग्रहों पर ले जाना संभव नहीं है। ऐसे में वहां मौजूद संसाधनों का ही इस्तेमाल करना जरूरी है। मंगल पर कार्बन डाईऑक्साइड अत्यधिक मात्रा में उपलब्ध है। इस गैस को अन्य यौगिकों में बदलने के नए तरीके खोजना केवल लाल ग्रह ही नहीं बल्कि धरती के लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है।नासा ने कहा है, ‘ऐसी तकनीक से धरती के वायुमंडल में मौजूद और प्रदूषण से फैलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड से भी उपयोगी पदार्थ बनाए जा सकेंगे।’ कार्बन और ऑक्सीजन दोनों ही ग्लूकोज के मूलभूत अणु हैं। कार्बन डाईऑक्साइड को ग्लूकोज में बदलने में सक्षम प्रणाली का निर्माण धरती पर जैव उत्पादन तकनीक के विकास में भी मदद कर सकता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष में ऊर्जा और पानी जैसे संसाधन सीमित होने से ग्लूकोज का निर्माण करना कठिन है। यह प्रतियोगिता इसी समस्या का हल निकालने के लिए कराई जा रही है।दो चरणों में होने वाली इस प्रतियोगिता में गैस से ग्लूकोज बनाना ही मुख्य चुनौती है। पहले चरण में प्रतिभागियों को कनवर्जन (रूपांतरण) सिस्टम का डिजाइन जमा करना है। इस चरण के पांच विजेताओं को 50 हजार डॉलर (करीब 35 लाख रुपये) दिए जाएंगे। दूसरे चरण में अपने डिजाइन को मूर्त रूप देना होगा। इस चरण के विजेताओं को इनाम के तौर पर 7,50,000 डॉलर (करीब 5 करोड़ रुपये) मिलेंगे।