नई दिल्ली वित्तीय संकट से जूझ रही निजी विमानन कंपनी जेट एयरवेज ने बीती तिमाही (अप्रैल-जून) के नतीजे जारी कर दिए हैं। इस अवधि में कंपनी को 1,323 करोड़ रुपये का भारी-भरकम घाटा हुआ है। महंगे ईंधन और कमजोर रुपये के कारण बढ़े अन्य खर्चों के चलते कंपनी को घाटे का सामना करना पड़ा। सालभर पहले इसी अवधि में कंपनी को 53.50 करोड़ रुपये का फायदा हुआ था। निजी विमानन कंपनी नौ अगस्त को तिमाही नतीजे जारी करने वाली थी। बाद में अचानक नतीजों की घोषणा टाल दी गई। इस कारण से कंपनी को नियामकीय पूछताछ का भी सामना करना पड़ा था। अकारण नतीजे टालने की वजह से कंपनी के शेयरों में भी गिरावट आई थी। अब सोमवार को हुई बोर्ड बैठक में नतीजों को जारी करने की मंजूरी दी गई। नतीजों के मुताबिक, कंपनी को लगातार दूसरी तिमाही में घाटा हुआ है। 31 मार्च, 2018 को समाप्त हुई तिमाही में कंपनी का घाटा 1,036 करोड़ रुपये था। लागत कटौती और हिस्सेदारी बेचने की योजना पर कंपनी के चेयरमैन नरेश गोयल ने बताया कि बोर्ड ने दो अहम प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें पूंजी बढ़ाना और लॉयल्टी प्रोग्राम जेट प्रीविलेज में कंपनी की हिस्सेदारी की बिक्री शामिल है। यह दोनों कदम लंबी अवधि में कंपनी की वित्तीय सेहत और स्थिरता के लिए लाभकारी होंगे। कंपनी की ओर से जारी नतीजों के मुताबिक, समीक्षाधीन तिमाही में कंपनी की कुल आय सालभर पहले के 5,953 करोड़ रुपये की तुलना में मामूली बढ़कर 6,066 करोड़ रुपये रही। वहीं, ईंधन लागत 1,524 करोड़ रुपये से बढ़कर 2,332 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
