हेग- अमेरिका की ओर से दोबारा प्रतिबंध थोपे जाने पर ईरान ने संयुक्त राष्ट्र की शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अमेरिका के खिलाफ दाखिल उसके मुकदमे पर सोमवार से इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (आइसीजे) में सुनवाई शुरू हुई। ईरान ने इसमें दलील दी कि प्रतिबंधों से उसकी अर्थव्यवस्था तबाह हो रही है। यह अदालत अमेरिका को प्रतिबंध हटाने का आदेश दे।ईरान ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दोबारा प्रतिबंध लगाने के फैसले का मकसद उसे दबाव में लेना है। हेग स्थित आइसीजे के जजों ने सोमवार को ईरान के वकीलों की दलील सुनी। ईरान की पैरवी कर रहे मोहसिन मोहेबी ने कहा, ‘अमेरिका खुलेआम उस नीति को बढ़ावा दे रहा है जिसका लक्ष्य ईरान की अर्थव्यवस्था, कंपनियों और लोगों को गंभीर नुकसान पहुंचाना है। यह नीति मैत्री संधि 1955 का उल्लंघन है। ईरान ने इसका कूटनीतिक समाधान निकालने का आग्रह किया था, लेकिन उसे ठुकरा दिया गया।’
अमेरिका मंगलवार को रखेगा अपना पक्ष:-अमेरिका के वकील विदेश विभाग की सलाहकार जेनिफर न्यूस्टीड के नेतृत्व में मंगलवार को आइसीजे में अपने देश का पक्ष रखेंगे। इस मामले में एक माह के अंदर फैसला आने की संभावना है, लेकिन अभी इसके लिए कोई तारीख तय नहीं की गई है।
क्या है आइसीजे:-आइसीजे संयुक्त राष्ट्र का ट्रिब्यूनल है। यह अंतरराष्ट्रीय विवादों पर सुनवाई करता है। इसका फैसला बाध्यकारी होता है, लेकिन इसे पालन कराने के लिए उसके पास शक्ति नहीं है।
परमाणु समझौते से इस मई में हटा अमेरिका:-साल 2015 में अमेरिका, रूस, फ्रांस, चीन, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ ईरान ने परमाणु समझौता किया था। इस समझौते के बाद ईरान पर लगे प्रतिबंधों को हटा लिया गया था। लेकिन ट्रंप ने इस साल मई में समझौते को दोषपूर्ण करार देकर अमेरिका के इससे हटने का एलान कर दिया और तीन हफ्ते पहले उस पर फिर प्रतिबंध थोप दिए। ट्रंप ने तब कहा था, ‘यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि ईरान परमाणु बम नहीं बना पाए।’ माना जा रहा है कि अमेरिका नवंबर में ईरान पर कुछ और प्रतिबंध लगा सकता है। इसमें उसके तेल निर्यात समेत ऊर्जा क्षेत्र को निशाना बनाया जा सकता है।
