अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के मुद्दे पर घिरा पाकिस्तान एक बार फिर आतंकवाद के मसले पर ही विवादों में है और एक बार फिर अमेरिका और पाकिस्तान इस मुद्दे पर आमने-सामने हैं. इस बार तो बात सिर्फ़ एक बयान से ही शुरू हुई कि क्या अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को बधाई के लिए जो फोन किया, उसमें आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात कही? अमेरिका जहां अपने इस बयान पर अडिग है, वहीं पाकिस्तान इसे ग़लत ठहरा रहा है. अब देखना होगा की इस विवाद का दोनों देशों के रिश्तों पर क्या असर पड़ेगा. इमरान ख़ान के पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने फोन पर उन्हें चुनावी जीत की बधाई दी. लेकिन इसके साथ ही पाकिस्तान के पीएम से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक ढंग से निपटने को भी कहा. लेकिन पाकिस्तान का कहना है कि इस फोन कॉल के दौरान आतंकवाद पर कोई बात नहीं हुई. हालांकि अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने पाक के रुख की पोल खोलने में देर नहीं की. अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रेस रिलीज़ में कहा गया है कि ‘अमेरिकी विदेश मंत्री माइकल आर पोम्पियो ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से बात की और उन्हें जीत की बधाई दी. विदेश मंत्री पोम्पियो ने नई सरकार के साथ रचनात्मक द्विपक्षीय संबंधों के लिए मिलकर काम करने की इच्छा जताई. विदेश मंत्री ने पाकिस्तान द्वारा पाकिस्तान से संचालित सभी आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाने पर भी ज़ोर दिया.’
दरअसल पिछले कुछ समय से आतंकवाद के मुद्दों को लेकर अमेरिका व पाकिस्तान के बीच संबंधों में कड़वाहट रही है. राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप जहां पाकिस्तान पर आतंक के खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई न करने और आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देने का आरोप लगा चुके हैं वहीं अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जा रही अरबों डॉलर की सैन्य सहायता को भी रोक दिया. वहीं चुनाव प्रचार के दौरान इमरान खान भी लगातार यह आरोप लगाते रहे हैं कि अमेरिका के नेतृत्व में चल रहे आतंक विरोधी अभियान में पाकिस्तान के हिस्सा बनने की वजह से ही उसकी अपनी धरती पर बीते एक दशक में आतंकवाद बढ़ा है. लेकिन फ़ाइनेंशियल एक्शन टास्क फ़ोर्स अगेंस्ट टेररिज़्म की ग्रे लिस्ट में नाम आने के बाद पाकिस्तान दबाव में है. यही नहीं 28 ट्रिलियन के कर्ज़ के बोझ में दबे पाकिस्तान को आईएमएफ से बेल आउट पैकेज के लिए भी अमेरिका की मदद की दरकार है. सितंबर के पहले हफ्ते में पोम्पियो की पाकिस्तान की यात्रा प्रस्तावित है. जो पाकिस्तान में नई सरकार बनने के बाद किसी विदेशी उच्च पदाधिकारी की पहली यात्रा होगी. लेकिन इस यात्रा से ठीक पहले उठे इस विवाद के बाद देखना होगा कि क्या अमेरिका पाकिस्तान की नई सरकार को अपने यहां पनप रहे आतंकवादी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए तैयार कर पाता है और मात्र एक बयान से बौखलाई पाकिस्तान की नई सरकार आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर कितनी गंभीर है?
