वर्ष 2017 -18 के दौरान 3449.23 एकड़ नया क्षेत्रफल मछली पालन अधीन लाया गया
चंडीगढ़,
मछली पालन के धंधे से जुड़े किसानों द्वारा पूंग की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए पंजाब सरकार द्वारा 24.65 करोड़ रुपए की लागत से सरकारी पूंग फार्मों का नवीनीकरन किया गया है। इस बारे जानकारी देते हुए पशु पालन, डेयरी विकास और मछली पालन मंत्री श्री बलबीर सिंह सिद्धू ने बताया कि पंजाब सरकार का मुख्य उद्देश्य फ़सलीय विभिन्नता अधीन किसानों को उत्साहित करके मछली पालन के लाभप्रद धंधे के साथ जोडऩा है जिसके लिए राज्य सरकार द्वारा मछली पालन के बुनियादी ढाचों को मज़बूत किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 -18 के दौरान 3449.23 एकड़ नया क्षेत्रफल मछली पालन अधीन लाया गया और 35882.49 एकड़ पुराना क्षेत्रफल मछली पालन अधीन बरकरार रखा गया है। पशु पालन मंत्री ने बताया कि मछली पालन के विभाग के प्रगतिशील यत्नों स्वरूप ही राज्य में वर्ष 2017 -18 के दौरान 137309 टन मछली का उत्पादन किया गया है जिससे पंजाब मछली पालन में अगुआ राज्य बनकर सामने आया है। श्री सिद्धू ने आगे बताया कि राज्य में एक मछली बरूड बैंक स्थापित किया जायेगा जिस द्वारा वैज्ञानिक और पेशेवर तरीकों से बढिय़ा किस्म का मछली पूंग पैदा किया जायेगा और यह बैंक पूरे देश के लिए उत्तम गुणवत्ता के बरूडर्ज़ का एक स्रोत बनेगा। उन्होंने यह भी बताया कि जिला मानसा के गाँव अलीशेर खुर्द में एक नया सरकारी मछली पूंग फार्म स्थापित किया जा रहा है।
श्री सिद्धू ने आगे बताया कि सरकार द्वारा मछली पालन के प्रसार के लिए राज्य में बहुत सी नयी पहलकदमियां की गई हैं जिसको राज्य में लागू करने के लिए किसानों को तकनीकी, आर्थिक और औद्योगिक स्तर पर सशक्त किया जा रहा है जिस अधीन मछली पालन के इच्छुक व्यक्तियों को हर साल बड़ी संख्या में ट्रेनिंग सैशन लगाए जा रहे हैं जिस अधीन वर्ष 2017 -18 के दौरान 6324 व्यक्तियों को प्रशिक्षण दिया गया और 4.51 करोड़ रुपए के कजऱ्े मछली पालकों को बैंकों से दिलाए गए। उन्होंने आगे बताया कि मछली पालन को वैज्ञानिक और तकनीकी स्तर पर विकसित करने के लिए यह जरूरी है कि राज्य के हर जिले के मछली पालन के लिए पानी की गुणवत्ता बरकरार रखने और बीमारी की तुरंत पहचान करने के लिए लैबोटरियां हों जिससे मछली पालकों को होने वाले नुक्सान को समय पर ही रोका जा सके। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार द्वारा जल्द राज्य में पाँच लैबोटरियां स्थापित की जाएंगी, जिनके द्वारा सभी जिलों के मछली पालकों को मानक सेवाएं मुहैया करवाई जाएंगी।
