लोकसभा के बाद राज्यसभा से भी मंजूरी मिलने के बाद एससी-एसटी एक्ट से जुड़े पुराने प्रावधान बहाल होंगे, राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून लागू हो जाएगा. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ होनेवाले अत्याचारों को रोकने के लिए बना कानून पहले की तरह ही सख्त रहेगा। संसद ने पुराने कानून के प्रावधानों को बहाल करने वाले विधेयक अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण संशोधन विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के जरिए न सिर्फ इस मामले में पहले से बना कानून बहाल होगा बल्कि इसे और सख्त बनाया जा सकेगा। लोकसभा ने सोमवार को इस कानून को मंजूरी दी थी और गुरुवार को राज्यसभा ने भी इसे पास कर दिया। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने सदन में हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि इससे एसएटी वर्गों के लिए सरकार की प्रतिबद्धता जाहिर होती है। विधेयक के जरिए कानून के पुराने प्रावधानों को बहाल किया जा रहा है, जिसके मुताबिक-
– किसी व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर रजिस्टर करने के लिए प्रारंभिक जांच की जरुरत नहीं होगी।
– ऐसे व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले जांच अधिकारी को किसी अनुमोदन की जरुरत नहीं होगी।
– जिस व्यक्ति पर एससी एसटी कानून का अभियोग लगा हो तो उस पर कोई और प्रक्रिया या कानून लागू नहीं होगा
– आरोपी व्यक्ति को अग्रिम जमानत भी हासिल नहीं हो सकेगी।
दरअसल एससी एसटी कानून के दुरुपयोग को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में निर्देश जारी किए थे। उसके बाद दलित संगठनों ने सरकार से कानून को फिर से बहाल करने की मांग की थी। जिसके बाद सरकार ये कानून लेकर आई है। इस कानून में जो बदलाव किए गए हैं उसके मुताबिक पहले एससी एसटी कानून के दायरे में 22 श्रेणी के अपराध आते थे, लेकिन अब इसमें 25 अन्य अपराधों को शामिल करके कानून काफी सख्त बनाया जा रहा है। अब दोनों सदनों से पास होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद पुराने कानून से जुडे प्रावधान बहाल हो जाएंगे।
