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भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल से होगी तय ग्लोबल इकोनोमी की गति: IMFb

दुनिया ने फिर माना भारतीय अर्थव्यवस्था का लोहा, IMF ने कहा, अगले कुछ दशक तक ग्लोबल इकोनोमी की गति भारतीय अर्थव्यवस्था की चाल से होगी तय, विश्व बैंक के ईज़ ऑफ गेटिंग इलेक्ट्रिसिटी इंडेक्स में भारत 73 अंकों की छलांग के साथ 26वें स्थान पर पहुंचा. ऐसे वैश्विक हालात में जब वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने कई चुनौतियां मुंह बाए खड़ी है तो ऐसे में भारत पर सिर्फ दुनिया की निगाहें ही नहीं हैं बल्कि भारत अब वैश्विक अर्थव्यस्था के लिए एक उम्मीद की किरण और उससे आगे बढ़कर ग्रोथ इंजन की तरह हो गया है। इतना ही नहीं विश्व मुद्रा कोष यानी आईएमएफ का कहना है कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए आने वाले कई दशकों तक ग्रोथ इंजन की तरह काम करता रहेगा। लेकिन अगर आज आईएमएफ यह कहता है तो उसके अपने पैमाने हैं। ये वैश्विक संस्था कहती है कि भारत तेज़ी से अपने यहां अर्थव्यवस्था में संरचनात्मक सुधार कर रहा है। और भारत जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था जो अब दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है वैश्विक स्तर पर अपना असर डाल रही है। भारत आज उस स्थिति में जा पहुंचा है जहां वैश्विक अर्थव्यवस्था की विकास यानी ग्रोथ में उसका योगदान 15 फीसदी तक जा पहुंचा है, और ये आंकड़ा एक निर्णायक भूमिका को दिखाता है। ध्यान देने वाली बात ये भी है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष का ये आकलन भारत के पर्चेज़िंग पावर पैरिटी के पैमाने पर निकाला गया है। इस भूमिका में भारत से बड़ा रोल सिर्फ चीन और अमेरिका की है। बुधवार को विश्व बैंक की ओर से एक और बड़ी ख़बर आई। विश्व बैंक की ताज़ा ईज़ ऑफ गेटिंग इलेक्ट्रीसिटी इंडेक्स में यानी बिजली की उपलब्धता की सहूलियत में भारत अब पूरी दुनिया में 26वें स्थान पर है। जहां 2014 में भारत 99वें स्थान पर था। ये इंडेक्स साफतौर पर बताने के लिए काफी है कि भारत तेज़ी से उन देशों में शुमार होता जा रहा है, जहां आम लोगों को और साथ ही उद्योगों को बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित हो रही है। पिछले करीब चार सालों में 73वें स्थान की छलांग अपने आप में बताने के लिए काफी है कि बुनियादी ढांचागत विकास में भारत पिछले सालों में तेज़ी से काम कर रहा है। इन क्षेत्रों में बिजली, नवीकरनीय ऊर्जा के स्रोत, पेट्रोलियम और कोयला क्षेत्रों में सुधार के लिए की गई पहल हैं। और इसी का नतीजा है कि भारत में साल 2014 बिजली की कमी 4 फीसदी तक थी जो आज 1 फीसदी तक सिमट तक रह गई है। पिछले सालों में 24 घंटे बिजली सुनिश्चित करने को लेकर जो कदम उठाए गए हैं साथ ही सौभाग्य योजना, 31 मार्च 2019 तक हर घर को बिजली योजना और हर गांव तक बिजली की पहुंच ने सुधारों के बड़े संरचनात्मक तंत्र को सुदृढ़ किया है।

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