सूअर पालन के धंधे को उत्साहित करने के लिए मोहाली में हुआ राज्य स्तरीय समागम
पशु पालकों को सूअरों के यूनिट स्थापित करने के लिए दी जा रही है सब्सिडी
उत्तर पूर्वी राज्यों में पंजाब के सूअर के मीट की भारी मांग
मोहाली/चण्डीगढ़,
किसानों को परंपरागत खेती के साथ-साथ कृषि के साथ जुड़े सहायक धंधों को अपना कर गेहूँ धान के फ़सलीय चक्कर को तोडऩा चाहिए। इससे ही समय की माँग के अनुसार किसानों को उत्पादक के साथ साथ व्यापारी वर्ग वाला पेशा भी अपनाना चाहिए जिससे अपने वाणिज्य की मंडी में सही कीमत वसूल हो सके। ये विचार आज स. बलबीर सिंह सिद्धू पशु पालन, मछली पालन और डेयरी विकास विभाग के मंत्री ने सूअर पालन के धंधे को उत्साहित करने के लिए लाईव स्टॉक भवन, मोहाली में आयोजित राज्य स्तरीय समागम में एकत्रित सूअर पालकों के बड़े जलसे को संबोधन करते हुए प्रकट किए। स. सिद्धू ने पंजाब के समूह किसान भाइयों को यह न्योता दिया कि उनको अपनी आय में वृद्धि करने के लिए अब समय के साथ परंपरागत खेती के जाल में से बाहर निकलना पड़ेगा और अपने कार्य का विश्व मंडी में मूल्य तय करवाने के लिए अपने उत्पाद की मार्के टिंग खुद करनी पड़ेगी। सूअर पालन के धंधों का मौजूदा दौर में लाभ बताते हुए स. सिद्धू ने कहा कि विश्व मंडी में सूअर के मांस की माँग दिनों-दिन बढ़ रही है। उन्होंने जि़क्र किया कि भारत के उत्तर पूर्व में स्थित 7 पहाड़ी राज्यों में सूअर के मांस की बहुत बड़ी मंडी है और यह हमारे लिए गौरव की बात है कि ये राज्य पंजाब द्वारा भेजे जाते पोर्क मीट को सबसे उत्तम क्वालिटी का मानते हैं। उन्होंने कहा कि यदि किसान विभाग की तरफ से विभिन्न केन्द्रों और सूअर पालन, बकरी पालन और मुगऱ्ी पालन के धंधों की बाकायदा तकनीकी जानकारी हासिल करके अपने फार्म स्थापित करें। उन्होंने यह विश्वास दिलाया कि उत्तम गुण के पोर्क मीट की अधिक से अधिक उपयोग सिफऱ् उत्तर पूर्वी राज्यों में ही हो जायेगा।
पशु पालन मंत्री ने बताया कि राज्य में छोटे और सीमांत किसानों को 110 यूनिट स्थापित करने के लिए 2.20 करोड़ रुपए आरक्षित रखे गए हैं। उन्होंने बताया कि एक यूनिट में 20 मादा सूअर और 4 नर सूअर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि 5 महीनों के दौरान 1800 सूअर पालकों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इसके साथ ही सरकारी सूअर फार्मों में 500 के करीब सूअरों के बच्चे पशु पालकों को वाजिब दर पर मुहैया करवाए गए हैं। उन्होंने बताया कि पंजाब सरकार की तरफ से सूअरों के 3000 यूनिट और स्थापित करने के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है जबकि बकरियों के 1000 यूनिट स्थापित करने के लिए केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है।
स. सिद्धू ने बताया कि पंजाब सरकार पशु पालकों को निर्धारित नीति के मुताबिक सब्सिडी मुहैया करवा रही है। उन्होंने कहा कि किसी भी किसान को यदि सूअर पालन के धंधों के लिए यूनिट स्थापित करने के लिए सब्सिडी की ज़रूरत है तो वह निर्धारित विधि अधीन सरकार के पास आवेदन दे सकते हैं और उन्होंने बताया कि किसानों को सहायक धंधों के स्थापन के लिए पैसों की कमी नहीं आने दी जायेगी। पशु पालन मंत्री ने गौरव के साथ यह बात कही कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने विभागों के वितरण के समय पशु पालन विभाग उनको सौंपते हुए यह कहा था कि यह विभाग उनको सबसे ज़्यादा प्यारा है और उनको मुझसे यह आशा थी कि मैं बढिय़ा काम करके पंजाब की ऋणी किसानी का भार हल्का करूँ। स. सिद्धू ने कहा कि मैं अपनी पूरी तनदेही के साथ पशु पालन विभाग को मुख्यमंत्री जी के दिखाऐ मार्ग अनुसार चलाने का प्रयास कर रहा हूँं। आज के सूअर पालन धंधों के सैमीनार के दौरान डा. अमरजीत सिंह, डायरैक्टर पशु पालन, श्री इन्द्रजीत सिंह, डायरैक्टर डेयरी विकास, डा. मदन मोहन, डायरैक्टर मछली पालन, श्री हरकेश चंद शर्मा, राजनैतिक सचिव, पशु पालन मंत्री, डा. हर्ष मोहन वालिया, डिप्टी डायरैक्टर, पशु पालन (मुगऱ्ी विकास) डा. विनोद कुमार जिंदल और अग्रसर सूअर पालक श्री सुखविन्दर सिंह कोटली ने सूअर पालन के पेशों से सम्बन्धित तकनीकी जानकारियां और तजुर्बे उपस्थित सूअर पालकों के साथ साझे किये।
