ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को लोकसभा के बाद सोमवार को राज्यसभा ने भी पारित कर दिया। दशकों पुरानी इस मांग पर राजनीतिक अड़चनें भी खूब देखने को मिलीं। जिसकी वजह से बीते करीब एक साल से ये बिल संसद में लटका पड़ा था, जो अब राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद कानून की शक्ल लेगा। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग से किया अपना वादा पूरा करते हुए सोमवार को ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले विधेयक को संसद से मंजूरी दिला दी। लोकसभा ने गुरुवार को इस बिल को मंजूरी दी थी, तो सोमवार को राज्यसभा से इस बिल को पास कर दिया। सोमवार दोपहर बाद सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के प्रावधान वाले 123वें संविधान संशोधन विधेयक-2017 को चर्चा और पारित कराने के लिए राज्यसभा में पेश किया और सदस्यों से इसका समर्थन करने की अपील की। चर्चा के बाद सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत ने जवाब दिया और साफ कहा कि सरकार ओबीसी के हितों के संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है। मंत्री के जवाब के बाद मतदान हुआ और सदन से बिल को मंजूरी मिल गई। इस कानून के प्रावधानों की बात करें तो, सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग नामक एक आयोग होगा। आयोग में एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य होंगे, जिसमें से कम से कम एक महिला होगी। कानून पारित होने के बाद नियम बनाते वक्त महिला सदस्य का प्रावधान होगा. आयोग एक स्वायत्त संस्था के तौर पर काम करेगा। आयोग सामाजिक और शैक्षिक दृष्टि से पिछड़े वर्गों के लिए तमाम उपाय करेगा और उनसे जुड़ी शिकायतों की जांच करेगा।ओबीसी तबके में जातियों को जोड़ने या हटाने के लिए राज्य सरकारों से परामर्श लिया जाएगा। ओबीसी के उत्थान को लेकर बनने वाली योजनाओं में आयोग की भागीदारी भी होगी। बिल पारित होने के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने इसका स्वागत किया और इसका श्रेय पीएम नरेंद्र मोदी को दिया। गौरतलब है कि ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का बिल लोकसभा से पास हो गया था। इसके बाद राज्यसभा में ये विधेयक विपक्ष के कुछ संशोधनों के साथ पास हुआ था। सरकार ने कुछ संशोधनों को शामिल कर बिल को दोबारा लोकसभा से पास कराया, जहां से ये वापस राज्यसभा में आया. बिल अब दोनों सदनों से पास हो गया है और अनुमति के लिए इसे राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद ओबीसी कमीशन संवैधानिक दर्जा ले लेगा। आयोग को संवैधानिक दर्जा दिए जाने के बाद इसके तहत पिछड़ी जातियों की समस्याओं का निपटारा किया जा सकेगा। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान करने संबंधी विधेयक पारित हो जाने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खुशी का इजहार किया है। ट्वीट के जरिए पीएम ने कहा, देश के लिए एक ऐतिहासिक क्षण. मुझे खुशी है कि संसद ने 123वां संविधान संशोधन विधेयक पारित कर दिया है, जो कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को एक संवैधानिक दर्जा प्रदान करता है। ये देशभर के अन्य पिछड़ा वर्ग समुदाय के सशक्तिकरण के लिए मददगार साबित होगा।
