नई दिल्लीः राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने आज दो तिहाई से अधिक बहुमत के साथ सर्वसम्मति से मंजूरी प्रदान कर दी। सदन ने राज्यसभा द्वारा विधेयक में किये गये संशोधनों को निरस्त करते हुए वैकल्पिक संशोधन तथा और संशोधनों के साथ ‘संविधान (123वां संशोधन) विधेयक, 2017’ पारित कर दिया।सदन में मतविभाजन के दौरान विधेयक के पक्ष में 406 सदस्यों ने मत दिया। विपक्ष में एक भी वोट नहीं पड़ा। सरकार के संशोधनों को भी सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। लोकसभा में करीब पांच घंटे तक चली चर्चा के दौरान 32 सदस्यों ने हिस्सा लिया। विधेयक के पारित होते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में उपस्थित थे। इससे पहले बीजद के भर्तृहरि महताब द्वारा पेश संशोधन को सदन ने 84 के मुकाबले 302 मतों से नकार दिया।विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत ने कहा कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने का संकल्प लिया था, इसलिए इसे दोबारा लोकसभा में राज्यसभा के संशोधनों पर वैकल्पिक संशोधनों के साथ लाया गया है। उन्होंने कहा कि आयोग में महिला सदस्य को शामिल करने की महताब और अन्य सदस्यों की मांग के संदर्भ में सरकार ने आश्वासन दिया था कि नियम बनाते समय ऐसा किया जाएगा। इस आश्वासन को सरकार दोहराती है। एससी और एसटी आयोग की शब्दावली में भी महिला सदस्य को लेकर कोई उल्लेख नहीं है। गहलोत ने कहा कि अब सरकार के संशोधनों के साथ आया विधेयक अत्यधिक सक्षम है और आयोग को संवैधानिक दर्जा मिलने के बाद आयोग पूरी तरह सशक्त होगा। राज्यों में जातियों का आरक्षण तय करने का अधिकार वहां की सरकारों को होने संबंधी महताब के सवाल पर गहलोत ने स्पष्ट किया कि यह आयोग केंद्रीय सूची से संबंधित ही निर्णय लेगा। राज्यों की सूची बनाने का काम राज्यों के आयोग का ही होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मैं आश्वस्त करता हूं कि राज्य बाध्यकारी नहीं होंगे।’’विधेयक पारित होने के बाद सत्तापक्ष और विपक्ष सभी दलों के सदस्यों ने मेजें थपथपाकर स्वागत किया। प्रधानमंत्री ने विधेयक पारित होने पर गहलोत के पास जाकर उन्हें बधाई दी। इसके बाद भाजपा और कुछ अन्य दलों के नेताओं ने भी प्रधानमंत्री के पास आकर बधाई दी।