लोकसभा से पास हुआ आपराधिक कानून संशोधन विधेयक, बिल में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में फांसी सहित सख्त सजा देने का प्रावधान। संसद के दोनों सदनों में कल एनआरसी ड्राफ्ट का मुद्दा उठा। राज्यसभा इस मुद्दे पर हंगामे के चलते पूरे दिन के कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। लोकसभा में भी शून्यकाल में विपक्षी दलों के सांसदो ने इस मुद्दे को उठाय़ा जिसका जबाब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिया। लोकसभा में होम्यौपैथी केन्द्रीय परिषद विधेयक पारित किया गया। लोकसभा में बाल अपराध मामलों से जुड़े कानूनों में बदलाव से संबंधित क्रिमिनल लॉ एमेन्डमेंट विधेय़क भी पारित हुआ। संसद के दोनो सदनो में सोमवार को असम के लिए जारी किए गए एनआऱसी ड्राफ़्ट का मुद्दा उठा। राज्यसभा इस मुद्दे पर पहले दो बार स्थगति हुई फिर हंगामे के चलते पूरे दिन के कार्यवाही को स्थगित करना पड़ा। उधर लोकसभा में भी शून्यकाल में विपक्षी दलों के सांसदो ने इस मुद्दे को उठाय़ा जिसका जबाब गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने दिया। दोपहर बाद लोकसभा में चर्चा के बाद होम्यौपैथी केन्द्रीय परिषद विधेयक पारित किया गया। इस विधेयक में होमियोपैथी कॉलेजों को मान्यता देने के लिए एक विशेष बोर्ड के गठन का प्रावधान है जो एक साल में अपने सुझाव देगा। इसके बाद निजी होमियोपैथी कॉलेजों को नए सिरे से मान्यता दी जाएगी। इसके साथ ही लोकसभा में बाल अपराध मामलों से जुड़े कानूनों में बदलाव से संबंधित क्रिमिनल लॉ एमेन्डमेंट विधेय़क भी पारित हुआ। चर्चा के दौरान विपक्ष ने जहां सरकार को कुछ सुझाव दिए वहीं सरकार ने कहा कि मौजूदा हालात में बिल बेहद जरुरी है।
इस विधेयक में 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से बलात्कार के मामलों में दोषी ठहराए गए अपराधियों को फांसी सहित सख्त सजा देने का प्रावधान है। ऐसे मामलों से निपटने के लिए नई त्वरित अदालतें गठित की जाएँगी। इसके साथ ही सभी पुलिस थानों और अस्पतालों को बलात्कार के मामलों की जाँच के लिए विशेष फॉरेंसिक किट दी जाएगी। विधेयक में 16 साल के कम उम्र की लड़कियों से सामूहिक बलात्कार के दोषी के लिए उम्रक़ैद की सज़ा का प्रावधान बरकरार रहेगा। इसके अलावा किसी भी उम्र की महिला से बलात्कार के मामले न्यूनतम सज़ा 7 साल से 10 साल सश्रम कारावास की गई है जिसे उम्रक़ैद तक भी बढ़ाई जा सकती है।दरअसल सरकार की कोशिश है कि दोनो सदनों में जल्द से जल्द उन विधेयको को पारित कराया जाये जो अध्यादेशों की जगह पर सदन के पटल पर रखे गये है। फिर प्राथमिकता के तौर पर इसी हफ्ते सरकार उच्च सदन में तीन तलाक के खिलाफ विधेयक और निचले सदन में ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने से जुड़े विधेयक को पारित कराना चाहती है।
