केंद्रीय पर्यावरण सचिव की अध्यक्षता में पंजाब और हरियाणा के उच्च अधिकारियों की मीटिंग
चंडीगढ़ – पंजाब में पराली जलाने के मामलों में साल 2017 में 45 प्रतिशत तक की कमी आई है। पंजाब के मुख्य सचिव कार्यालय में केंद्रीय पर्यावरण सचिव श्री सी. के. मिश्रा की अध्यक्षता मे पंजाब और हरियाणा के उच्च अधिकारियों की एक मीटिंग में पंजाब सरकार की तरफ से बताया गया कि साल 2016 में धान की पराली जलाने के 80,879 मामले सामने आए थे जबकि साल 2017 में यही संख्या 43,814 थी जोकि 45 प्रतिशत के करीब कम बनता है।
पंजाब के कृषि और पर्यावरण विभागों से सम्बन्धित उच्च अधिकारियों ने बताया कि इसी तरह साल 2017 के दौरान गेहूँ के अवशेष को जलाने के 15,378 मामले सामने आए जबकि 2018 के सीजन के दौरान यह संख्या 28 प्रतिशत तक कम होकर 11,095 रह गई। मीटिंग में बताया गया कि यह सब कुछ पंजाब सरकार की तरफ से चलाई गई जागरूकता मुहिमों, सैमीनारों, किसान मीटिंगों और किसानों में चेतना पैदा करने का निष्कर्ष है कि पंजाब के किसान पर्यावरण के संरक्षण के लिए आगे आए हैं।
इस मौके पर पंजाब ने केंद्र को बताया कि पराली और अवशेष जलाने की दर को और कम करने और पराली प्रबंधन योजना के लिए हैप्पी सीडर, पराली को कुतरने वाले यंत्र, कम्बाईनों पर लगने वाले सुपर एस.एम.एस. और रोटावेटर आदि यंत्रों की खरीद के लिए वित्तीय मदद की जा ही है। किसानों से आए आवेदन पत्रों के आधार पर उनको सब्सिडी भी मुहैया करवाई जा रही है। पंजाब के किसान समुहों और कृषि सहकारी सभाओं को 80 प्रतिशत सब्सिडी पर मशीनरी/यंत्र भी मुहैया करवाई जा रही हैं।
पंजाब के अधिकारियों ने बताया कि हालाँकि पराली न जलाने संबंधी कानून भी बने हुए हैं परन्तु पर्यावरण संरक्षण के लिए किसानों को अलग -अलग माध्यमोंं के द्वारा जागरूक किया जा रहा है और उनको नयी मशीनें देकर इनको चलाने का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इसके इलावा मंडियों में धूल प्रदूषण घटाने के लिए कलीनिंग मशीनों पर धूल नियंत्रण यंत्र लगाए जा रहे हैं।
इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण सचिव श्री सी. के. मिश्रा ने दोनों राज्यों के अधिकारियों की तरफ से दी प्रस्तुतीकरण देखीं और पर्यावरण संरक्षण के लिए कृषि, औद्योगिक क्षेत्र, दाना मंडियों, नदियों की सफ़ाई और सामाजिक क्षेत्रों में जो-जो पहलकदमियां की जा रही हैं उस बारे भी जानकारी हासिल की। उन्होंने दोनों राज्यों को अपने कीमती सुझाव दिए जिससे पर्यावरण संरक्षण को और सार्थक तरीके से आगे ले जाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसानों और आम लोगों में और जागरूकता लाने के लिए सोशल मीडिया मंचों और एनजीओज़ की भी मदद ली जानी चाहिए।
मीटिंग में पंजाब के मुख्य सचिव श्री करन अवतार सिंह और हरियाणा के मुख्य सचिव श्री देपिंदर सिंह ढेसी के इलावा दोनों राज्यों के उच्च अधिकारी और पेटीएम के नुमायंदे उपस्थित थे। पंजाब की तरफ से पेशकारी सचिव कृषि श्री काहन सिंह पन्नूं ने दी।
