ऊना : गोबिंद सागर झील का जलस्तर काफी नीचे चले जाने से इस पूरे क्षेत्र में हाहाकार की स्थिति बनी हुई है। आधा जुलाई बीत जाने के बाद भी जलस्तर में कोई खास वृद्धि नहीं हुई है। जो क्षेत्र इन दिनों जलमग्न हो जाते थे वह भी सूखे पड़े हैं। बी.बी.एम.बी. के अधिकतम जलस्तर के प्वाइंट से कई स्थानों पर एक किलोमीटर दूर तक भी पानी नहीं पहुंच पाया है। जलस्तर नीचे चले जाने से दिक्कत उन लोगों को है जो आमतौर पर भाखड़ा बांध के तहत बनी गोबिंद सागर झील को मोटरवोट के जरिए आर-पार करते हैं। चाहे स्कूली बच्चे हो या हर रोज आवागमन करने वाले ग्रामीण हो। इसके अतिरिक्त असंख्य श्रद्धालु जो ऊना से पीरनिगाह और उसके बाद बीहडू व मंदली से होते हुए दूसरी तरफ लठियाणी पहुंचते हैं उन्हें भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बीहडू-मंदली घाटों पर तो वीरानगी छाई है। उधर लठियाणी की तरफ से भी कई 100 मीटर दूर जाकर पानी के दर्शन हो रहे हैं। लोगों को काफी पैदल चलना पड़ रहा है। हालत यह है कि डैम के पानी तक पहुंचने के लिए अब बाकायदा गाड़ियों के लिए सड़क भी बनाई जाने लगी है। जहां किश्तियां चलती थी वहां अब गाड़ियां सरपट दौड़ रही हैं। हालत यह है कि डैम के दोनों तरफ रहने वाले ग्रामीणों को अपने मवेशियों के लिए पानी पिलाने को भी उन्हें काफी दूर तक जाना पड़ रहा है। भाखड़ा बांध से लेकर डुमखर तक काफी लम्बे चौड़े क्षेत्र में गोबिंद सागर झील है जो ऊना जिला के कुटलैहड़ क्षेत्र को 2 हिस्सों में बांटती है। अधिकतर लोग आर पार के लिए किश्तियों का सहारा लेते हैं तो यहां बनने वाली झील का पानी भी ग्रामीणों के लिए लाभदायक होता है। इस वर्ष शायद सूखे की ऐसी स्थिति है कि पानी कहीं देखते हुए नहीं मिल रहा है। सबसे बुरी हालत लठियाणी और मंदली-बीहडू के बीच बनी हुई है। भाखड़ा बांध प्रबंधन से मिले आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष निश्चित रूप से पानी रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचा है। इस वर्ष 19 जुलाई के आंकड़ों के मुताबिक भाखड़ा बांध का जलस्तर न्यूनतम 1519.39 फुट है जबकि पिछले वर्ष 2017 में इसी दिन इसका स्तर 1596.60 फुट था। वर्ष 2016 में 1584.13 तो 2015 में यह 1631.39 फुट था। इस वर्ष सबसे कम पानी भाखड़ा डैम में है जिसका खामियाजा अनेक लोगों को भुगतना पड़ रहा है।
